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रक्षाबंधन 2020 में कब हैं | रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?

रक्षाबंधन का पर्व हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसलिए राखी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है यह त्यौहार भाई बहनों के प्रेम का त्यौहार है

इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं और उनकी कलाइयों में राखी बांधती है और उसके बाद भाई अपने बहनों की रक्षा करने का वचन देता है.

यह हिंदुओं में सबसे बड़े पर्व में से एक माना जाता है जो रक्षाबंधन के नाम से जाना जाता है बहनें इस पर्व का इंतजार बड़ी बेसब्री से करती है

यह एक लोकप्रिय त्यौहार है क्योंकि रक्षाबंधन भाई बहनों के प्यार को और गहरा तथा मजबूत बना देता है. हम आपको बताना चाहता है कि इस बार का रक्षा-बंधन 3 अगस्त को दिन सोमवार को मनाया जाएगा

इस साल 3 अगस्त को रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त है सुबह 9:28 से 21:14 तक है इस बार 12 घंटे का रक्षाबंधन है राखी का पर्व श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह महीना बहुत शुभ माना जाता है

इसी महीने में भक्त भोले बाबा के दर्शन के लिए जाते हैं जो कांवर के नाम से जाना जाता है इसी महीने से हिंदू धर्म का पर्व शुरु होती है हर वर्ष श्रावण मास में यह पर्व मनाया जाता है

Raksha Bandhan क्यों मनाया जाता है?

रक्षाबंधन मनाने कारण– यह पर्व श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है इस पर्व को मनाने के पीछे कई कहानियां है. यदि इसके आरंभ की बात करें तो यह भाई बहन का पर्व नहीं बल्कि विजय प्राप्त के अवसर का पर्व है पुराणों में कई कथाएं मिलती हैं

उसमें से एक एक कहानी आपको हम बताएंगे तो बताने से पहले आपको हम बताना चाहते हैं कि यह कहानी आप ध्यान से पढ़ें जिससे आपको समझ में आए

एक बार की बात है. देवता और असुरों के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था लगातार 12 सालों तक युद्ध चलता रहा और बाद में असुरों ने देवता पर विजय हासिल कर ली और देवराज इंद्र के सिंहासन को ले लिया तथा तीनों लोको पर विजय प्राप्त कर ली उसके उसके बाद इंद्र तथा सभी देवता गुरु बृहस्पति के पास पहुंचे और कोई उपाय बताने के लिए कहा गुरु बृहस्पति ने उनसे रक्षा मंत्र उच्चारण करने के लिए कहा

इसके विधान को पूरे तरीके से करने के लिए कहा श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इस रक्षा बंधन सूत्र का पूरा विधान करने के लिए बताया श्रवण मास की पूर्णिमा के दिन एक रक्षा सूत्र को मंत्रों से मजबूत शक्तिशाली बनाया गया और इंद्र की पत्नी इंद्राणी से कहा गया कि आप अपने पति को यह रक्षा सूत्र बांध दें

और रानी ने अपने पति के दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र बांध दिया तब इंद्र युद्ध के लिए गए और युद्ध पर विजय प्राप्त की और असुरों को हराया और अपने सिंहासन को वापस पा लिया तथा अपने गौरव को वापस पा लिया इसीलिए रक्षाबंधन को बहुत शक्तिशाली पर्व माना जाता है

इसमें भाई अपने बहन की रक्षा करने का वचन देता है तथा बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है तथा उसके विजय की कामना करती है रक्षाबंधन के दिन जो राखी भाई के कलाई पर होती है

वह एक राखी ही नहीं उसमें भाई बहनों का प्यार छुपा होता है वह राखी भाई बहनों के प्यार का एक प्रतीक है जो सारे संसार में व्याप्त है

What is importance raksha Bandhan (रक्षाबंधन का महत्व)

पुराणों की कथाओं के अनुसार राजसूय यज्ञ के समय भगवान श्रीकृष्ण को दो्पदी ने राखी के रूप में अपने आंचल का एक छोटा टुकड़ा बांध दिया था. तब से यह राखी की परंपरा चली आ रही है इसी कड़ी में एक अौर प्राचीन कथा मानी जाती है

कि चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने राजा हुमायूं को राखी भेजी और अपनी रक्षा करने का वचन मांगा और हुमायूं ने अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन दिया एक दिन गुजरात के सम्राट ने जबरदस्ती कलावती से विवाह करना चाहा और उसे परेशान करने लगा तो हुमायूं ने राखी की लाज रखते हुए हुमायूं ने गुजरात के सम्राट को युद्ध में हरा कर कर्णावती को वापस लाया।

तथा अपनी बहन को दिया हुआ वचन निभाया। इसी प्रकार हर भाई को अपने बहन की रक्षा करना उसका पहला धर्म है रक्षाबंधन कै पर्व का इंतजार हर बहन बहुत बेसब्री से करती है अपने भाई के कलाई में राखी बांधने के लिए यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है

रक्षाबंधन बहुत पुराना त्योहार है इस त्यौहार को श्रावणी भी कहा जाता है जिस प्रकार आज 7 जुलाई को बालक पढ़ने के लिए विद्यालयों में प्रवेश लेते हैं उसी प्रकार प्राचीन काल में इस दिन बालक विषयों के आश्रम में प्रवेश लेते थे

इसी से इसे ब्राह्मणों का त्योहार कहा जाता है रहा है लेकिन बाद में राजा बलि की मां ने अपने पुत्र की रक्षा के लिए उसके हाथ में राखी बांधी और मुगलों के समय में महारानी कर्णावती ने मेवाड़ की रक्षा के लिए हुमायूं के पास राखी भेजी यह त्यौहार रक्षाबंधन के नाम से प्रसिद्ध रहा है

रक्षाबंधन का त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण है अगर इस त्यौहार को विशेष ढंग से मनाया जाए तो देश में हिंदू मुसलमानों की एकता बहुत दिन हो सकती है ब्राह्मण वर्ग में भी देशवासियों को रक्षा सूत्र मंगलमय कामना के साथ प्रदान करें

ताकि हम एसएसवी बने और अपने शत्रुओं का मान मर्दन कर सकें श्रावणी तुम्हारा दिव्य संदेश देश की जागृत के लिए प्रतिवर्ष आय ताकि हम कल्याण पथ की ओर अग्रसर हो सके।

आर्य समाज मंदिर में श्रावणी का पर्व मनाया जाता है हवन यज्ञ होने के बाद प्राचीन काल में मनाए जाने वाले महत्व को बताया जाता है तथा वेद की कथा होती है वेद प्रचार हेतु 1 सप्ताह तक

यह कार्यक्रम चलता है ग्रामीण क्षेत्र में रक्षाबंधन के अवसर पर नव विवाहित युवक अपनी अपनी ससुराल में पूरा खाने जाते हैं नव विवाहित युवती के मायके में ससुराल से सौगी, भेजने की भी परंपरा है प्रत्येक देश और जात के लोग त्यौहार मनाते हैं

त्यौहार मनुष्य के जीवन में आनंद उत्पन्न करते हैं भारत त्योहारों का देश है यहां अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं उनमें से एक रक्षाबंधन प्रमुख त्योहार है यह त्यौहार प्राचीन काल में विद्या और विद्वानों का था

परंतु आज यह भाई बहन का त्यौहार हो गया है रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है इसे राखी और सनूनो का त्यौहार भी कहा जाता है

रक्षाबंधन कैसे मनाते हैं?

रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के प्यार का प्रतीक है तथा राखी का त्यौहार सदियों से चला आ रहा हैइस त्यौहार के आने से भाई बहनों के बीच दोष दूर हो जाते हैं और प्यार बढ़ता हैऔर भाई को अपनी बहन के प्रति कर्तव्य को याद दिलाता है राखी के दिन मॉर्निंग में स्नान करके

और अच्छे कपड़े पहन कर और फिर अपने घर की साफ सफाई करें तथा चावल के आटे का चौक पूरे तथा मिट्टी के छोटे-छोटे घड़े की स्थापना करें तथा चावल कच्चे सूत का वस्त्र, सरसों, रोली को साथ में मिला दें

उसके बाद अपने थाली को सजा ले तथा दीपक जला ले उसके बाद अपने भाई को पीढ़ी तथा किसी उचित स्थान पर बिठा दें ध्यान रखें भाई का मुख पूरब की तरफ होना चाहिए पूरब की दिशा बहुत शुभ मानी जाती है

तथा भाई को तिलक करते समय बहन का मुख पश्चिम की ओर होना चाहिए और इसके बाद तिलक लगाएं दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र बांधे तथा फिर भाई की आरती उतारे उसके बाद उसे मिठाई खिलाए अगर आप भाई से बढ़ी हैं तो भाई को आशीर्वाद दें यदि छोटी है तो भाई से आशीर्वाद ले। यही सही तरीका माना जाता है रक्षाबंधन को मनाने के लिए, इससे भाई बहनों का प्यार बढ़ता है

इसे भी जाने- जन्माष्टमी पर्व पर निबंध

रक्षाबंधन 2020 का शुभ मुहूर्त और तारीख़

इस साल 3 अगस्त को रक्षा बंधन है दिन सोमवार को मनाया जाएगा, 3 अगस्त को रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त है। सुबह 9:28 से 123 बज कर 14 मिनट तक है टोटल 12 घंटे का समय रक्षाबंधन के लिए है यह महीना बहुत शुभ माना जाता है

रक्षाबंधन 2020 का शुभ मुहूर्तसमय – तारीख़
रक्षाबंधन समय9:28 से 21:14
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 202012 घंटे 11 मिनट
राखी पूर्णिमा की शुरुआत14 अगस्त 15:45
पूर्णिमा समाप्ति15 अगस्त 17:58
Happy Raksha Bandhan

हेल्लो दोस्त मेरा नाम सूरज गोस्वामी हैं, मैं JankariYa ब्लॉग का फॉउंडर हूं मैं इस ब्लॉग पर Internet ki Jankari, Blogger Ki Jankari, Business Tip's, Gadget Review के बारे में हिन्दी मे लिखता हूँ।

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