प्रस्तावना- जब संसार इस संसार में अत्याचार धर्म की हानि हुई लगती है तथा अधर्म की विजय होने लगती है तो इस अवस्था में ईश्वर को खुद अवतार लेना पड़ता है ईश्वर के जन्म का संपूर्ण वर्णन भागवत ने प्रस्तुत है हमारे आराध्य श्री कृष्ण का जन्म भादो मास में अष्टमी के दिन रात्रि 12:00 बजे को इनका जन्म हुआ थाइनके परम पूज्य पिता वासुदेव तथा जननी देवकी थी।
जन्माष्टमी मनाने का कारण
कंस ने अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव के साथ किया था वह इन दोनों को रथ में बिठाकर जब ले जा रहा था अचानक एक आकाशवाणी हुई जिस बहन को बड़े प्रेम पूर्वक रथ में बिठा कर ले जा रहे हो उसी के आठवें पुत्र के द्वारा तुम्हारी मृत्यु होगी
और कंस ने इन दोनों को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया कंस ने अपनी बहन देवकी के साथ पुत्रों को मार डाला और आठवें पुत्र के जन्म लेते ही पूरा संसार जगमगाउठा और सारे पहरेदार गहरी नींद में सो गए वासुदेव ने प्रभु श्री कृष्ण को यमुना नदी के रास्ते यमुना नदी में चलकर गोकुल में नंद बाबा के घर पहुंचा दिए
और वहां से मां दुर्गा की बाल रूप को अपने साथ मथुरा ले आए कंस बाल रूप मां दुर्गा को मारना सका और यह अंतर्ध्यान हो गई और प्रभु श्री कृष्ण का लालन-पालन नंद बाबा के घर गोकुल में हुआ था यह है
यहां पर अनेक प्रकार की लीलाएं करते थे और सखियों के साथ अनेक क्रीडा ए अपनी लीलाओं को प्रदर्शन करते थे और लोगों का मन मोह लेते थे इसीलिए इनको मनमोहन भी कहा गया है।
जन्माष्टमी की तैयारियां
इस दिन लोग बड़े उत्सुकता से उत्सव की तैयारी करते हैं इस दिन सुबह उठने के बाद बच्चे बूढ़े सभी लोग जन्माष्टमी की तैयारियों में जुट जाते हैं उसी में मग्न रहते हैं और दिन भर प्रभु श्री कृष्ण की चर्चाएं होती है
इस दिन बड़ी श्रद्धा से बच्चे बूढ़े माताएं उपवास करती हैं और व्रत करती हैं अपने श्री कृष्ण के जन्म के खुशी में सब कुछ भूल जाती हैं लोग रात के 12:00 बजे इनका जन्म उत्सव मनाते हैं
तभी भगवान श्री कृष्ण की पूजन अर्चना और प्रसाद ग्रहण करते हैं उसके बाद भोजन करते हैं इस दिन सभी मंदिरों में इस दिन सभी मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण हमारे बाल गोपाल का जन्म बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन बाल गोपाल द्वारा की गई सभी लीलाओं का वर्णन किया जाता है और हर्ष उल्लास के साथ उन्हें उन्हें झूले पर बिठाकर झूला झुलाया जाता है नगरों कस्बों शहरों और विदेशों में भी जो भारतीय रहते हैं बड़े उल्लास के साथ प्रेम पूर्वक के साथ इस त्योहार को मनाते हैं
बाल गोपाल को लोग इसलिए इतना प्रेम करते हैं क्योंकि इन्होंने छोटे बड़े की भेद भाव न करते हुए सब को एक समान माना और अपने मित्रों के साथ लीलाये की और अपने भक्तों को सदैव अपने हृदय में बसाने वाले थे।
उपसंहार-
जब भी हम श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव मनाते हैं तो हमें आशा होती है जब भी धर्म की हानि होगी और अधर्म का धर्म की विजय होगी तब तक हमारे प्रभु बाल गोपाल श्री कृष्ण इस धरती पर अवतार लेंगे और हम भक्तों के संकट का निवारण करेंगे ।