
महाशिवरात्रि पर्व का महत्व को लेकर आज भी आप के मन में कुछ सवाल है सही जानकारी अभी तक आपको कोई नहीं बताया होगा अगर बतलायें भी होंगे तो आपको समझ में नहीं आया होगा, आज हम आपकों शिवरात्रि व्रत के महत्व को दो तरीके से बतलाने वाले हैं एक तो आसान शब्दों में और एक कहानी के माध्यम से हमें पुरा बिस्वास हैं आपकों यह पोस्ट जरूर पसंद आयेगा
पोस्ट को शुरू करने से पहले आप को आपके पुरे परिवार को Jankariya Hindi Blog की तरफ़ से महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
महाशिवरात्रि पर्व का महत्व
ज्योतिलिंग का प्रादुर्भाव होने से यह महा पर्व महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं। इस पर्व को सभी लोग कर सकते हैं।इस व्रत को नहीं करने से दोष लगता हैं माह शिवरात्रि पर्व व्रतराज के नाम से भी विख्यात हैं।
महा शिवरात्रि यमराज के शासन को मिटाने वाली पर्व हैं और शिवलोक को प्राप्त करने वाली एक मात्र व्रत हैं।
महा शिवरात्रि को बिधि पूर्वक जागरण एवं सहित उपवास करते हैं तो उस प्राणियों को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिवरात्रि के समान पाप और भय को मिटाने वाले और कोई पर्व नहीं है।
इस पर्व को करने मात्र से ही आप के द्वारा किये गये सभी पाप खत्म हो जाते हैं और आपको शिवलोक की प्राप्ति होती हैं
शिवलोग की प्राप्ति के ऊपर नीचे हमनें एक कहानी लिखें हैं आप उसे पढ़ सकते हैं जिससे आपको महाशिवरात्रि पर्व का महत्व का पता चल जायेगा
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महाशिवरात्रि व्रत का महत्व के ऊपर शिव पुराण में लिखी गयी कहानी
शिव पुराण में एक कहानी लिखी हुई है ‘जगदत‘ नाम का एक महात्मा थे, उनको एक लड़का जन्म हुआ उस लड़का का नाम गुणनिधि रखा गया
महात्मा का काम पूजा पाठ करना था पूजा पाठ करने से जो आमदनी होती थी उसी से उसका परिवार चलता था।
एक दिन का बात है, पूजा पाठ करने के बाद एक राजा ने दक्षिणा के रूप में एक सोने का अंगूठी दान किया जगदत उस अंगूठे को अपने पत्नी को दे दिया
फिर कुछ दिनों के बाद जगदीश अपने घर से बाहर गया और अपने पत्नी को बोलता गया बेटा को पढ़ाई लिखाई करवाना और देखभाल करना(Take Care) इतना कहकर बाहर चला गया
उसका बेटा कुसंगत में पर कर पढ़ाई लिखाई छोड़ दिया और जुआ (Gambling) इत्यादि खेलने लगा
एक दिन की बात है जब महात्मा अपने घर लौट रहे थे रास्ते में उसने एक जुआरी के हाथ में अपना अंगूठी देखा उस अंगूठी के बारे में उससे पूछा आपको ये अंगूठी कौन दिया है
जुआरी महात्मा से बोलते हैं आपका बेटा गुणानिधि जुआ में हारने के बाद हमें दिया है।
इतना सुनते ही महात्मा गुस्सा में अपने घर को लौटे और अपने पत्नी से पूछा अंगूठी कहां है पत्नी ने अंगूठी ढूंढी और उसे नहीं मिला पत्नी को अंगूठी ना मिलने पर महात्मा ने अपने पत्नी से बोला तुम ही बेटे को बिगाड़ी है
गुस्से में आकर महात्मा अपने पत्नी से बोला अब तुम ही रहो घर में मैं जा रहा हूं यह बोलकर घर छोड़कर महात्मा चले गए
महात्मा के चले जाने के बाद बेटे को अपने माँ को खिलाने पिलाने में असमर्थ हो रहे थे बेटा निकम्मा था और वह जहां तहां चोरी भी करने लगा था जिससे अपना थोड़ी बहुत गुजारा कर लिया करता था
कुछ दिनों के बाद शिवरात्रि का दिन आया और उनकी मां भूखी प्यासा निराधार थी गुणानिधि ने अपने मन में सोचा आज शिवरात्रि का दिन है जागरण का दिन है सब लोग मंदिर में मेवा मिष्ठान चढ़ाएंगे
शिवजी के मंदिर से रात के समय सभी प्रसादी को चुरा लूंग और प्रसादी को लाकर माँ को खिलाऊंगा और मैं खुद भी खा लूंगा
यही सोच कर वह रात के समय शिवजी के मंदिर गये वहाँ हो रहें पुजा भी देखा और भजन भी सुना क्योंकि वह रात के समय में प्रसाद की चोरी करता या प्रसाद को लेता
सभी भक्तों की निद्रा अवस्था में आने के कुछ पल बाद रात में मंदिर का दीपक की पलीता जल गया गुणानिधि ने अपने धोती का छोटा सा टुकड़ा फाड़ कर दीपक को फिर से प्रज्वलित किया और प्रसाद लेकर भागने लगा
उसके पीछे सभी भक्त लोग भागा और गुणानिधि को पकड़ा और पीट-पीटकर जान से मार दिया मरने के बाद यमराज ने यमदूत को भेजा गुणानिधि के आत्मा को लेने के लिए
इनके बाद शिवजी ने अपने दूत को भेजा गुणानिधि की आत्मा को लेने के लिए यमराज के दूत और शिव के दूत दोनों गुणानिधि के आत्मा लेने के लिए पहुंचे अब दोनों में लड़ाई होने लगी उसके बाद यमराज और शिव जी वहां पहुंचे
यमराज ने बोला जब ये व्यक्ति पूरा समय गलत काम किया है लिए इसे यमलोक ले जाया जाएगा और शिव जी ने कहा जिसके गले में रुद्राक्ष की माला हो, माथे पर तिलक हो, और इसने मेरा पूजन किया है दीपक को जलाया है और सारी रात जागरण किया है इसलिए हम इसे शिवलोक लेकर जाएंगे।
शिवजी के दूत गुणनिधि को शिवलोक लें गये अब आपको इस धार्मिक कहानी से महाशिवरात्रि पर्व करने के महत्व को अच्छे से समझ गए होंगे हमें पूरा विश्वास है कि आपको कहानी जरूर पसंद आई होगी
महाशिवरात्रि की पूजा कैसे करें
महाशिवरात्रि व्रत कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को प्रारंभ होते हैं लोग एक दिन पहले स्नान पूजा पाठ कर के अरवा( बिना नमक के ) खाते हैं शिव विवाह के दिन रात निराधार उपवास रहकर विवाह देखकर उसके एक दिन बाद इस व्रत का पालन किया जाता है
महाशिवरात्रि पूजा नियंता तीन दिनों का होता है महाशिवरात्रि करने से गांव पाठ गौ वध, स्त्री वध, ब्रह्मवध खंडित होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है
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महाशिवरात्रि पूजा अनुष्ठान की विधि
- शिवरात्रि के दिन आमतौर पर लोग पुरा दिन उपवास रहते हैं इस अवधि के दौरान लोग फल और दूध का सेवन करते हैं।
- रात के समय शिव के मंदिर या शिवाले में विशेष पूजा अर्चना करते हैं
- भगवान शिव को दूध से रुद्राभिषेक करते हैं
- विवाहिक महिला अपने पति के स्वस्थ एवं भलाई के लिए विशेष पूजा पाठ करती है
महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त 2021
- चतुर्दशी आरंभ 11 मार्च : 2 बजकर 40 मिनट
- चतुर्दशी समाप्त 12 मार्च : 3 बजकर 3 मिनट
- निशीथ काल 11 मार्च मध्य रात्रि के बाद 12 बजकर 25 मिनट से 1 बजे तक रहेगा
- शिवयोग 11 मार्च सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक
- सिद्ध योग 9 बजकर 25 मिनट से अगले दिन 8 बजकर 25 मिनट तक धनिष्ठा नक्षत्र रात 9 बजकर 45 मिनट तक उपरांत शतभिषा नक्षत्र
- पंचक आरंभ 11 मार्च सुबह 9 बजकर 21 मिनट से
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Is post me ek achhi aur kaam ki jankari mili. Thanks
Thanks for sharing this great article.
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वाह sir आपने बहुत आसान शब्दों में महाशिवरात्रि का महत्व के बारे बतलायें हैं हम इस पोस्ट को पुरा ध्यान पूर्वक पढें हैं आप इसी तरह और पोस्ट कीजिये