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Hazari Prasad Dwivedi Biography In Hindi

हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के आरत दुबे का छपरा, (ओझवलिया) नामक गांव में सन 1907 में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री अनमोल दुबे तथा माता का नाम श्रीमती ज्योति कली था।

हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय

हजारीप्रसाद द्विवेदी
हजारीप्रसाद द्विवेदी
जन्म:19 अगस्त 1907 आरत दुबे का छपरा (ओझवलिया) ग्राम
मृत्यु:दिल्ली में 19 मई 1979 को
व्यवसाय:प्राध्यापक, लेखक, आलोचक
राष्ट्रीयता:भारतीय
अवधि/काल:आधुनिक काल
विधाहिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार

आपकी शिक्षा का आरंभ संस्कृत भाषा के अध्ययन से हुआ आपने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ज्योतिषाचार्य की शिक्षा उत्तीर्ण की। (Hazari Prasad Dwivedi biography in Hindi)

सन 1940 ईस्वी में आप हिंदी एवं संस्कृत के अध्यापक होकर शांतिनिकेतन पहुंचे वहां अनेक वर्षों तक कार्य करते हुए आप गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के संपर्क में रहे।

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बाद में आप की नियुक्ति काशी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में अध्ययन पद पर हुई आपने कुछ समय तक पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

आपको भारत सरकार ने सन 1957 में आपको पदम भूषण से अलंकृत किया आपको मंगला प्रसाद पारितोषिक पुरस्कार भी मिला ।

आप उत्तर प्रदेश सरकार के हिंदी ग्रंथ अकादमी के सदस्य भी रहे 19 मई 1979 ईस्वी को साहित्य का यह सितारा लुप्त हो गया।(Hazari Prasad Dwivedi biography in Hindi)

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Hazari Prasad’s literary introduction

हजारी प्रसाद की साहित्यिक परिचय के बारे में जितना भी कहो कम है लेकिन फिर भी हम आपको बताते हैं । दिवेदी जी उच्च कोटि के निबंधकार उपन्यासकार तथा समालोचक विचारक थे। कवींद्र रवींद्र का आपके साहित्य पर गहरा प्रभाव है।

दिवेदी जी में साहित्य सृजन की छमता बचपन से ही थी आपने बाल्यावस्था में ही श्री योगेश शास्त्री से काव्य रचना करना सीख लिया था दिवेदी जी बांग्ला तथा संस्कृत साहित्य से प्रभावित है आपने सिद्ध साहित्य जैन साहित्य तथा अध्ययन साहित्य पर उच्च स्तरीय शोध किए।(Hazari Prasad Dwivedi biography in Hindi)

आपके निबंध –नाखून क्यों बढ़ते हैं ,कुटज, अशोक के फूल ,एक कुत्ता और एक मैना इत्यादि में बहुत ही सहज और अनौपचारिक ढंग से अपने चिंतन की झलक भी है आपके उपन्यासों की रचना नवीन शैली में हुई है आपने अनेक साहित्यिक संस्थाओं से संबंध रहकर राष्ट्रभाषा की अनुपम सेवा की है।

Hazari Prasad Dwivedi’scompositions

  1. निबंध संग्रह- अशोक के फूल ,विचार प्रवाह कुट्टूज ,कल्पलता।
  2. उपन्यास -बाणभट्ट की आत्मकथा ,चारुचंद्र लेख ,बनाम दास का पोथा।
  3. समालोचना– कबीर सूर साहित्य ,हिंदी साहित्य की भूमिका ,हिंदी साहित्य का आदिकाल, हिंदी साहित्य, हजारी साहित्यिक समस्याएं, साहित्य का मर्म।

Hazari Prasad Dwivedi’s languages

द्विवेदी जी की भाषा पर असाधारण अधिकार था इनकी भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों का बहुमूल्य है तथा पांडित्य पूर्ण काव्य रचना का प्रधान है संस्कृत शब्दों के साथ ही अरबी ,फारसी उर्दू अंग्रेजी इन सभी भाषाओं का प्रयोग किया गया है ।(Hazari Prasad Dwivedi biography in Hindi)

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भाषा तथा वर्णन में अलंकारों की अधिकता के कारण इनके साहित्य में कमल कांत पदावली की प्रचुरता है तथा उसमें काव्य जैसी सरसता है। आवश्यकता अनुसार आपने मुहावरों तथा लोगों का भी प्रयोग किया हैं।

What styles has HazariPrasadDwivedi used in his poetry

भावात्मक शैली– दिवेदी जी के निबंध- नाखून क्यों बढ़ते हैं कुट्टूज अशोक के फूल इत्यादि में भावात्मक शैली के दर्शन होते हैं यह शैली कमलकांत पदावली युक्त अलंकार प्रधान सरस और रोचक है इसमें भाव पिता के साथ-साथ प्रभावता पाई जाती है इसका एक उदाहरण दृष्टि है- जीना भी एक कला है, लेकिन कला ही नहीं तपस्या है।(Hazari Prasad Dwivedi biography in Hindi)

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(१) गवेषणात्मक शैली– द्विवेदी जी के शोध निबंधों में गवेषणात्मक शैली मिलती है यहां लेखक की भाषा संस्कृत निष्ठ है उदाहरण उसका उपचार प्रेम और मैत्री है उसका स्वास्थ्य सहानुभूति और हित चिंता है वह को संस्कारों के अंधकार को अपनी ज्योति से भेदता है।
(२) आलोचनात्मक शैली– साहित्यिक कृतियों की आलोचना करते समय द्विवेदी जी ने आलोचनात्मक शैली को अपनाया है इस शैली में उनकी भाषा संस्कृतनिष्ठ होते हुए भी सरल और प्रभावपूर्ण है

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अन्य शैलियां- द्विवेदी जी के साहित्य में उपयुक्त शैलियों के अतिरिक्त व्याख्यात्मक तथा विचारात्मक शैली का भी प्रयोग मिलता है किसी बात या सिद्धांत को समझने के लिए व्याख्यात्मक शैली का गंभीर साहित्यिक संस्कृत संस्कृत निबंध ओं में विचारात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।(Hazari Prasad Dwivedi biography in Hindi)

हिंदी साहित्य में स्थान(PlaceinHindiliterature)

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने हिंदी निबंध तथा समालोचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है ललित तथा निबंध कारों में आप शीर्ष स्थान के अधिकारी हैं साहित्यिक समालोचना में आपने अपना विशिष्ट स्थान बनाया है (Hazari Prasad Dwivedi biography in Hindi)

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हिंदी के गद्य कारों में द्विवेदी जी का नाम सदैव श्रद्धा से लिया जाएगा आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की हिंदी साहित्य को महत्वपूर्ण दिन यह कि उन्होंने हिंदी समीक्षा को एक नई उदार और वैज्ञानिक दृष्टि है।

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