Short story on true friendship यह सच्ची मित्रता की कहानी मजेदार और रोमांचक हैं जो दोस्तों के प्रति एक गहरा रिश्ता एवं विश्वास को दर्शाता है साथ ही प्रेरणादायक हैं।
सच्चे मित्र हमेशा जीवन में होने वाले खुशियों और दुःखों में एक साथ होते हैं और हर समय सहायता और समर्थन प्रदान करते हैं।
सच्चे मित्र की कई कहानियां हैं इनमें से एक कहानी हैं शेर और बहादुर जो आप नीचे पढ़ सकते हैं।
1. सच्ची मित्रता पर छोटी कहानी: शेर और बहादुर की सच्ची मित्रता
यह कहानी एक ग़ुलाम की है, जिसका नाम बहादुर था। वह एक मालिक के यहाँ काम करता था, जो उसके साथ पशुओं की तरह व्यवहार करता था। उसका मालिक उसे न सिर्फ भोजन की कमी से गुज़ार रहा था, बल्कि उसे अन्यायपूर्ण तरीक़े से भी पीड़ित कर रहा था।
कभी-कभी मालिक उसे खाना देने के बजाय कोड़े से भी मारता था, जिससे बहादुर चोट खाता और दर्द सहना पड़ता था. एक दिन मौका पाकर बहादुर मालिक के घर से भाग गया।
भागते-भागते वह एक जंगल में पहुँच गया और पहाड़ की एक गुफा में छिप गया। भागने के करण बहादुर बहुत थक चुका था, जिसके कारण वहां लेटते ही उसे नींद आ गई।
अचानक एक तेज़ आवाज़ सुनकर वह जाग गया। उसने देखा कि एक खूँखार शेर थोड़ी ही दूरी पर ज़ोर-ज़ोर से दहाड़ रहा है। इतना भयंकर दृश्य देखकर उसके होश उड़ गए और घबराहट के करण वह काँपने लगा।
शेर पहाड़ की गुफा के मुँह पर ही खड़ा था, इसलिए बहादुर वहाँ से भाग भी नहीं सकता था। लाचार होकर वह शेर के आक्रमण की प्रतीक्षा करने लगा, लेकिन शेर ने बहादुर को देखकर भी उस पर हमला नहीं किया। वह तो पहाड़ की गुफा के बाहर ही बैठकर कराहने लगा और अपने दाएँ पंजे को उठा-उठाकर चाटने लगा।
कुछ देर तो बहादुर शेर को देखता रहा, परंतु कुछ देर बाद उसे लगने लगा कि शेर उस पर हमला नहीं करना चाहता, बल्कि उसकी मदद पाना चाहता है।
बहादुर साहस करके शेर के पास पहुँचा। उसे देखकर शेर ने अपना दायाँ पंजा उठा दिया। बहादुर ने देखा कि उसमें एक बड़ा-सा काँटा चुभा था, जिसके कारण पंजे से खून बह रहा था।
यह सब देखकर बहादुर को दया आ गई और उसने शेर की मदद करने की सोची इसलिए उन्होंने शेर के पंजे से काँटा खींचकर बाहर निकाल दिया।
इसके बाद उसने शेर के पंजे को धीरे-धीरे सहलाना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में उसके पंजे से खून भी निकलना भी बंद हो गया।
शेर बहादुर के इस व्यवहार से बहुत खुश और प्रभावित हुआ और उसके साथ मित्र के जैसा व्यवहार करने लगा। और उनका पालतू बन गया। अब दोनों साथ-साथ जंगल में घूमते, शिकार करते और उसी पहाड़ की गुफा में एक साथ सोते। इसी तरह दो वर्ष बीत गए।
एक दिन जंगल में घूम रहें कुछ लोगों ने बहादुर को पहचान लिया और यह खबर उसके मालिक को दे दी। मालिक ने बादशाह से प्रार्थना की और बादशाह ने को निर्देश दिया “जाओ सिपाहियों बहादुर को पकड़वाकर जेल में बंद कर दो”
सिपाहियों ने जंगल से बहादुर को पकड़ लिया और कारागार में डाल दिया। बादशाह ने बहादुर को भागने के अपराध में शेर से लड़ाई करने की सज़ा सुना दी।
सज़ा के दिन एक भूखे व खूँखार शेर को पिंजरे में बंद कर दिया गया। लड़ाई देखने वालों की भीड़ बहुत ज़्यादा हो गई थी। थोड़ी ही देर में बहादुर को भी उस भूखे शेर के सामने डाल दिया गया। बहादुर को जैसे ही शेर के सामने डाला गया, वह बहादुर की ओर झपटा। अपने सामने शेर के रूप में साक्षात मृत्यु को देखकर बहादुर ने आँखें बंद कर लीं, लेकिन दहाड़ते हुए शेर बहादुर को देख अपनी दहाड़ बंद कर दी और बहादुर के पैरो में लेटकर उसे चाटना शुरू कर दिया।
बहादुर ने अपनी आँखें खोलीं। आँखें खोलते ही वह पहचान गया कि यह तो वही शेर है, जिसके साथ उसने जंगल में दो वर्ष बिताए थे। जब उसने शेर के सिर पर प्यार से हाथ फेरा, तो शेर को बीते दिन याद आ गई और उनके आँखों से आँसू बहने लगे।
आसपास बैठे सभी लोग यह दृश्य और इन दोनों की सच्ची मित्रता देखकर हैरान रह गए। बादशाह भी शेर और मनुष्य की ऐसी मित्रता देखकर बहुत प्रभावित हुआ। बादशाह को शेर और उनके सच्ची मित्रता के बारे में जानने की इच्छा हुई इसलिए उन्होंने बहादुर को पास बुलाया उसकी और शेर की मित्रता के बारे में पूछा।
बहादुर की कहानी सुनकर बादशाह बहुत ज्यादा खुश हुआ और उसने शेर के साथ उसे भी हमेशा के लिए जेल से स्वतंत्र कर दिया।
शेर और बहादुर की सच्ची मित्रता पर छोटी कहानी (Short story on true friendship) पढ़ कर आप को बहुत मज़ा आया होगा
सिख :- नेकी हमेशा काम आती हैं
2. पंचतंत्र की कहानी: घनिष्ठ मित्र
एक घने जंगल में बड़ी-सी झील के किनारे चूहा, कछुआ, कौआ और हिरण रहते थे। उनमें घनिष्ठ मित्रता थी। वे सभी प्रतिदिन एक पेड़ के नीचे बैठते और आपस में खूब गपशप करते।
एक दिन कछुआ, चूहा और कौआ तो झील के किनारे वाले पेड़ के नीचे आकर बैठ गए, परंतु हिरण नहीं आया। तीनों को चिंता होने लगी। उन्होंने आपस में विचार किया कि कौआ उड़कर पूरे जंगल में देखेगा कि मित्र हिरण किसी संकट में तो नहीं फँस गया है।
कौआ उड़-उड़कर अपने मित्र को खोजने लगा। थोड़ी ही देर बाद उसे हिरण दिखाई दिया, वह एक जाल में फँसा हुआ था। कौआ तुरंत आया और अपने मित्रों को सारी बातें बताने लगा।
कछुआ बोला कि चूहे के दाँत बहुत तेज़ हैं, इसलिए वह जाल को आसानी से काट सकता है।
चूहा बोला, “हाँ-हाँ, जाल तो मैं आसानी से काट दूंगा, परंतु मैं वहाँ तक पहुँचूँगा कैसे?” कौआ बोला, “मित्र, तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बैठाकर वहाँ ले चलूँगा।“
कौआ चूहे को अपनी पीठ पर बैठाकर हिरण के पास ले गया। चूहे ने अपने तेज़ दाँतों से जाल को झट से काट दिया और हिरण को मुक्ति दिला दी। तीनों मित्र प्रसन्न होकर झील की ओर चल पड़े। वे अभी कुछ ही दूर पहुँचे थे कि उन्होंने देखा, उनका मित्र कछुआ भी वहीं आ रहा है।
हिरण ने घबराकर कछुए से कहा, “कछुए भाई, तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था, यहाँ बहुत खतरा है। मुझे जाल में कैद करने वाला शिकारी अभी आसपास ही होगा। वह किसी भी समय यहाँ आ सकता है।“
वे चारों बातें कर ही रहे थे कि उन्हें शिकारी के आने की आहट सुनाई पड़ी। हिरण और चूहा तो भागकर घनी झाड़ियों में छिप गए, कौआ भी उड़कर पेड़ पर बैठ गया, परंतु कछुआ जल्दी से पास की झाड़ियों में नहीं जा सका, वह धीरे-धीरे झाड़ियों की ओर बढ़ रहा था।
जाल की खराब हालत देखकर शिकारी को बहुत गुस्सा आया और वह इधर-उधर भागकर हिरण को खोजने लगा, परंतु उसे वह कहीं भी दिखाई नहीं दिया।
तभी उसकी नज़र झाड़ियों की ओर जाते कछुए पर गई। उसने तेज़ी से लपककर कछुए को पकड़ लिया और उसे अपने हाथ में उठाकर कहा, “हिरण न सही, कछुआ ही चलेगा।
आज इसी को खाकर भूख मिटा लेता हूँ। “उसने अपने थैले में कछुए को बंद कर दिया। तीनों मित्रों ने कछुए को शिकारी के थैले से छुड़ाने की योजना बनाई योजना के अनुसार हिरण शिकारी के सामने आया और घास चरने लगा।
जैसे ही शिकारी ने हिरण को देखा, वह उसे दोबारा पकड़ने की सोचने लगा। उसने अपना थैला ज़मीन पर रख दिया। हिरण तो पहले से ही होशियार था. शिकारी को देखकर वह और आगे बढ़ गया।
शिकारी भी उसके पीछे-पीछे भागने लगा। इस तरह शिकारी हिरण का पीछा करते-करते थैले से बहुत दूर चला गया।
यह देखकर चूहा झाड़ियों से निकला और शिकारी के थैले को जल्दी-जल्दी काटना शुरू कर दिया। जब चूहे ने थैला काट दिया, तब कछुआ बाहर निकल आया।
हिरण का पीछा करते-करते शिकारी थककर चूर हो गया और अपना थैला लेने के लिए वापस आ गया, लेकिन उसने देखा कि थैला तो जाल की तरह ही कटा हुआ है तथा उसमें कछुआ भी नहीं है।
यह देखकर शिकारी सिर पीटने लगा और रोते हुए वहाँ से चला गया। शिकारी के जाते ही चारों मित्र अपने-अपने स्थान से निकल आए। वे बहुत प्रसन्न थे।
तो बच्चों इस चार दोस्त की घनिष्ठ और सच्चे मित्रता की कहनी (short story on true friendship) पढ़ कर आप को बहुत मज़ा आया होगा. अगर आप और भी मज़ेदार कहानियां पढ़ना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।