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100+ तेनालीराम की कहानियाँ । Tenali Raman Stories In Hindi Collection

Tenali Raman (तेनालीराम) भारत के इतिहास में ऐसे ही शख्स हैं, जिन्हें लोग तेनाली रामकृष्णा, तेनाली रामा एवं “तेनाली रमन” के नामों से भी जानते हैं. तेनालीराम की बुद्धिमानी और चतुराई से भला कौन परिचित नहीं है। Tenali Raman Stories In Hindi.

वे अपने चतुराई और अकल्पनीय बुद्धि के लिए मशहूर थे। इनकी चतुराई और बुद्धिमत्ता का लोहा हर किसी ने माना है।

चतुराई और बुद्धिमानी से जुड़े कई मजेदार किस्से और कहानियां हैं (Tenali Raman Short Stories in Hindi) जो हर किसी को प्रभावित व रोमांचित करते हैं।

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इनका जन्म 22 सितंबर 1479 को सोलहवीं शताब्दी में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के गुन्टूर जिले के गाँव – गरलापाडु में एक तेलुगू (Telugu) ब्राह्मण परिवार में हुआ।

तेनालीराम (Tenali Raman) के पिता का नाम गरलापति रामय्या, जो तेनाली नगर के रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर में पुजारी थे. माता लक्षम्मा और इनके पत्नी शारधा देवी थी।

तेनालीराम की जीवनी “विजय नगर” से शुरू होती है। जहाँ वह राजा कृष्णदेवराय के सबसे प्रिय मंत्री, विचारक और सलाहकार हुआ करते थे. उन्हें वहाँ “विकट कवि” के उपनाम से बुलाया (संबोधित) जाता था।

तेनालीराम की कहानियाँ, कहा जाता हैं अकबर के नवरत्नों की तरह ही तेनालीराम भी “राजा कृष्णदेव राय के दरबार के” अष्टदिग्गजों में से एक थे।

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Tenali Raman Stories In Hindi Collection । तेनालीराम के प्रसिद्ध किस्से कहानियां

तेनालीराम की कहानियाँ हास्यपूर्ण और मोरल शिक्षा से भरी होती हैं। इनसे जुड़े कई मजेदार किस्से और कहानियां भी हैं जो हर किसी को प्रभावित व रोमांचित करते हैं।

आज हम इस आर्टिकल में तेनालीराम के छोटे बड़े प्रसिद्ध मजेदार कहानियां (Tenali Raman Stories In Hindi Collection) लेकर हाजिर हूं जिन्हें पढ़ कर आप प्रभावित व रोमांचित हों जायेंगे, तो चलिए तेनालीराम की बुद्धिमानी और तेनालीराम के प्रसिद्ध किस्से का सफ़र शुरू करते हैं।

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1. तेनालीराम की कहानी अंगूठी चोर

एक समय की बात हैं महाराजा कृष्ण देव राय बेहद उदास हों कर अपने दरबार के सिंहासन पर बैठे थे. क्योंकि उनका कीमती रत्न से जड़ित ‘अंगूठी‘ कही खो गई थीं। अपनी बेहद खूबसूरत अंगूठी को खो कर भला कौन खुश रह सकता हैं।

तभी तेनालीराम वहाँ आ पहुंचते हैं. राजा को परेशान और उदास देखकर उनकी उदासी का कारण पूछता हैं। तब राजा ने बताया कि उनकी मन पसंदीदा अंगूठी अचानक कही खो गयी है, उन्हें शक था कि उनके कमरे के बहार रहने वाला अंग रक्षकों में से किसी एक ने चुरायी है।

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Image Source: iStock:

चूकि राजा कृष्णदेव राय को अपने सुरक्षा घेरा (security) पर पूरा विश्वास था. वे जानते थे, की कोई सामान्य व्यक्ति या चोर-उचक्का उनके शयन कक्ष के नज़दीक नहीं आ सकते हैं।

हो ना हो अंगूठी की चोरी सुरक्षाकर्मियों (अंग रक्षकों) में से कोई एक ने की हैं

यह सुनकर तेनालीराम ने तुरंत राज कृष्ण देव से कहा कि – “अंगूठी चोर को पकड़ना आसान है मैं बहुत जल्द चोर को आपके सामने लाऊंगा”

यह बात सुनकर महाराजा कृष्णदेव बेहद खुश हो गए उन्होंने तुरंत अपने सैनिक को बोल कर सभी अंगरक्षकों को अपने दरबार में बुलवा लिया।

तेनालीराम आवाज लगाते हुए कहा, “अगर राजा की अंगूठी की चोरी कक्ष के अंगरक्षकों ने की है। तो मैं इसका पता बड़ी आसानी से लगा लूंगा। जो सच्चा है उन्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं हैं जो चोर है वह कठोर से भी कठोर दण्ड भोगने के लिए तैयार हो जाए। तैयार हो जाएं आप सभी अंगरक्षक को मेरे साथ पास में स्थित काली मां के मंदिर जाना हैं।”

राजा बोले, “हमें तो चोर को पकड़ना है. फिर सभी को लेकर मंदिर दर्शन करने के लिए क्यों जा रहे हों”

तेनालीराम बोले, राज जी जरा आप धैर्य रखिये ना, जल्द ही चोर का पता चल जाएगा।”

मंदिर पहुँच जाने पर तेनालीराम सबसे पहले पुजारी जी से मिले और उन्हें कुछ गुप्त निर्देश दिए।

फिर उन्होंने अंगरक्षकों से कहा, “आप सभी को बारी-बारी से काली मां ही मूर्ति का पैर छूना है और फौरन बाहर निकल जाना है”।. ऐसा करने मात्र से ही माँ काली, “मुझे आज रात में दर्शन देंगे और सपने में चोर का नाम बता देंगी”।

अब सभी अंगरक्षक अपनी बारी आने पर मंदिर के अंदर जाकर माता के पैर छूकर बहार आने लगे।

जैसे ही कोई अंगरक्षक पैर छू कर बाहर आने लगता, तेनालीराम तुरंत उनका हाथ सूंघते फिर एक कतार में खड़ा कर देते।

कुछ ही समय में सभी अंगरक्षक माता के पैर छूकर एक कतार में खड़े हो जाते हैं।

महाराज बोले, “अब तो चोर का पता कल सुबह आपके सपने देखने के बाद ही लगेगा, तब तक इनका क्या किया जाए?”

तेनालीराम बोले, अरे नहीं महाराज, चोर का पता तो लग चुका है। सातवें स्थान पर जो अंगरक्षक खड़ा हैं उसी ने आपके अंगूठी चुराई हैं।

2. महान विद्वान और तेनाली रामा की बुद्धि की परीक्षा

एक दिन, एक महान विद्वान विजयनगर पहुंचे और राजा कृष्णदेवराय के दरबार में जाकर उनसे मिलने का अनुरोध किया।

विद्वान ने, राजा कृष्णदेवराय के सामने बड़ी-बड़ी डींग मारी कि उससे सभी विषयों में महारत हासिल कर ली है. इतना ही नहीं उसने यह भी कहा कि – पूरे भारत में बुद्धि की लड़ाई में बहुत सारे पंडितों और विद्वानों को हराया है।

और तो और भारत में कोई पंडित और ज्ञानी व्यक्ति नहीं हैं जो उसे हरा सके।

ऐसा कहते हुए उन्होंने, राज कृष्णदेवराय के दरबार में रहने वाले आठ सर्वश्रेष्ठ कवियों के साथ बुद्धि की लड़ाई के लिए चुनौती दे दी।

अब और क्या था राजा ने चुनौती स्वीकार कर ली और बुद्धि की लड़ाई शुरू कराने की आदेश दिया। दरबार में कई कवि थे लेकिन सभी एक- एक करके हारते जा रहे थे।

सब को लग रहा था विद्वान को सभी विषयों का पूरा ज्ञान हैं और बहुत बड़े ज्ञानी लग रहा हैं।

आखिर में तेनालीराम की भी बारी आती हैं. तेनालीराम सबसे पहले अपने स्थान पर खड़े हो गए और उन्होंने पीले रेशमी कपड़े में लिपटी एक पुस्तक निकाली और कहा, ‘हे विद्वान महाशय! मैंने आपके विषय मैं बहुत कुछ सुना है और आप जैसे महान विद्वान के लिए मैंने एक महत्वपूर्ण पुस्तक लाया हूं जिस पर हम लोग वाद-विवाद करेंगे।

महान विद्वान ने बोला! “कृपया आप मुझे इस अनोखी और महत्वपूर्ण किताब का नाम बताइए”।
तेनाली रामा बोले, ‘हे विद्वान महाशय, इस महत्वपूर्ण किताब का नाम, ‘तिलक्षता महिस्ता बंधनम’ हैं।

विद्वान चौंका; और हैरान हो गया उन्होंने कई भाषाओं में हजारों किताबें पढ़ी हैं लेकिन इस अनोखी और महत्वपूर्ण किताब के बारे में कभी नहीं सुना, ना ही पढ़ा। उसने अपनी हार मानी और अपना सिर झुका लिया और दरबार से बाहर चला गया।

राजा कृष्णदेवराय बेहद खुश क्योंकि तेनाली राम ने उनके दरबार की प्रतिष्ठा बचाई थी। उन्हें उस महत्वपूर्ण पुस्तक के श्लोक के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। राजा ने उससे पूछा कि “तिलका महिस्ता बंधनम” क्या है।

फिर तेनालीराम हँसे हुए और पीले रेशमी वस्त्र हटा दिया। देख कर सभी आश्चर्यचकित हो गए, यह क्या किताब नहीं थी, बल्कि एक किताब की तरह दिखने के लिए रस्सी से बंधी टहनियों का एक बंडल था।

तेनालीराम ने फिर कहा, “हे महान राजा, ‘तिलक्षता महिस्ता बंधनम” नाम मैंने खुद रखा था, इसमें ‘तिलक्षता’ का अर्थ है ‘शीशम की सूखी लकड़ियां’ और ‘महिषा बंधन’ का अर्थ है, ‘वही रस्सी जिससे गांव में भैंसों को बांधा जाता है।’
क्योंकि ‘महिषा’ का अर्थ है बैल और ‘बंधना’ का अर्थ है बाँधना।“ “मैंने इन सभी चीजों के लिए सिर्फ संस्कृत नामों का इस्तेमाल किया, और विद्वान यह सोचकर डर गए कि यह किसी पुस्तक की अज्ञात कोई श्लोक है।

इतना सुनते ही, “पूरा दरबार में, सभी हंसी से ठहाके लगाने लगे, और कृष्णदेवराय ने तेनाली रामा की बुद्धि की प्रशंसा की। और प्रसन्न होकर तेनालीराम को ढेर सारा कीमती पुरस्कार दिया ।

कहानी की नीति – सब कुछ जानने का अहंकार कभी नहीं करण चाहिए। जरूर कुछ ऐसा है जो आप नहीं जानते।

हेल्लो दोस्त मेरा नाम सूरज गोस्वामी हैं, मैं JankariYa ब्लॉग का फॉउंडर हूं मैं इस ब्लॉग पर Internet ki Jankari, Blogger Ki Jankari, Business Tip's, Gadget Review के बारे में हिन्दी मे लिखता हूँ।

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