दहेज-प्रथा पर निबंध (Dahej Pratha) दर्शनीय है आज की इस पोस्ट में प्रस्तावना सहित Dowry system पर चर्चा करेगे. हम इस पोस्ट में भारतीय नारी की दयनीय दशा, दहेज प्रथा के दुष्परिणाम, दहेज प्रथा की समाप्ति के उपाय, उपसंहार दहेज प्रथा सामाजिक कोढ़ को बतलाये हैं.
दहेज-प्रथा पर निबंध: 300 Word
प्रस्तावना- त्याग और सेवा का सजीव मूर्ति भारतीय नारी की दशा अत्यंत दर्शनीय है. समाज में उससे सम्मान पूर्वक स्थान प्राप्त नहीं होता है उसे पुरुष के समान स्तर पर नहीं रखा गया है स्वाधीनता का अर्थ वह जानती ही नहीं विभाग के पूर्व पति की विवाह के पश्चात पत्नी की तरह वृद्धावस्था में पुत्र की अधीनता में रहकर उसे जीवन यापन करना पड़ता है
स्वतंत्र वायुमंडल में सांस लेने उसके भाग्य में कहां लिखा है पुरुष के नारी के प्रति अनेक अत्याचार किए हैं उसे उचित अधिकार नहीं दिए गए हैं ना उसे अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है और ना सहशिक्षा प्राप्त करने का इसके लिए पिता की आज्ञा मानना अनिवार्य है
समाज ने नारी को कड़े बंधनों में दिया है और साथ ही उसे दहेज प्रथा के नाते उसे दहेज के लिए परेशान किया जाता है और अब आगे आपको दहेज प्रथा की वजह से नारी की दयनीय दशा का दर्शन कराते हैं
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भारतीय नारी की दयनीय दशा
आज नारी अनेक को ऊपर को परंपराओं एवं अपराध की शिकार है दहेज प्रथा नारी के लिए अभिशाप है सामाजिक परंपरा के अनुसार कन्या के पिता माता पिता द्वारा वर्ग के माता-पिता को धन संपत्ति आदि देनी पड़ती है
दहेज को स्वर का मूल कहना अत्युक्ति नहीं होगा सहयोग वर की प्राप्ति हेतु कन्या के माता-पिता यथाशक्ति अधिक से अधिक दहेज देने का प्रयास करते हैं
कभी-कभी वर के माता-पिता संतुष्ट नहीं होते और दिए गए दहेज से अधिक प्राप्त करने को चेष्टा करते हैं जो वधू वाह चित देहल दहेज लेकर नहीं आती उसे ससुराल से सांस नंद के ताने एवं शब्द सुनने पड़ते हैं
यही नहीं उसके प्रति दूर व्यवहार भी किया जाता है माता पिता के स्नेह एवं दुलार के स्थान पर वधु को सास ससुर का घृणा एवं तिरस्कार की प्राप्ति होती है
पति भी उससे रुठा रहता है वह झटपट आने लगती है और अपने भाग्य को कोसने लगती है
इस व्यथा से मुक्त होने के लिए वह अपने जीवन को जीवन के अंत कर डालती है वह ससुराल की या तनाव से उभर कर आत्महत्या कर लेती है दहेज दानों पर प्राणों की बलि चढ़ा देती है
यदि कोई वध ससुराल की यात्रा यात्राओं को प्रतिबद्ध पतिव्रत धर्म के नाते सहन करती हुई और अपना दुर्भाग्य समझ कर जीवन यापन करती है तो उसके ससुराल वाले कोई ना कोई षड़ यंत्र यंत्र सर्च कर उसकी हत्या कर डालते हैं
दहेज प्रथा की दुष्परिणाम
दहेज प्रथा के दुष्परिणाम वधु को ही नहीं उसके माता-पिता को भी भुगतने पड़ते हैं वह एक माता-पिता के माता-पिता की मांग की पूर्ति हेतु पैसा जुटाने के लिए वर्क प्रयास करते हैं
जिससे वे रीड ग्रस्त तक हो सजाते हैं वह अपनी बचत का सारा पैसा खफा देते हैं और जीवन भर दीन दुखी बने रहते हैं दहेज प्रथा का दुष्परिणाम अनमेल विवाह भी है दहेज देने में असमर्थ व्यक्तियों को अपनी पुत्री का विवाह वृद्ध पुरुष अथवा विकलांगों के साथ करना पड़ता है
इस कुप्रथा से समाज में अनैतिकता भी फैलती है लोग जब अपनी बेटियों का विवाह बड़ी उम्र होने तक नहीं कर पाते तब वह कभी-कभी काम वासना का शिकार होकर अनैतिक का सहारा लेते लेती है इससे समाज इससे समाज में अभी अभी चलता है अनेक लड़कियों को जीवन भर अविवाहित ही रहना पड़ता है मैं अनैतिकता भी फैलती है लोग जब अपने बेटियों का विवाह बड़ी उम्र होने तक नहीं नहीं कर पाते तब भी कभी-कभी काम वासना का शिकार होकर अनेक टिकता का सहारा लेती है इससे समाज में अभी भी चार फैलता है अनेक लड़कियों को जीवन भर अविवाहित ही रहना पड़ता है
दहेज प्रथा की समाप्ति का उपाय
दहेज की कुप्रथा का अंत होना चाहिए अंतरजातीय विवाह दहेज की कुप्रथा को समाप्त करने में सहायक हो सकते हैं पारंपरिक प्रेम पर आधारित विभागों में भी दहेज की बाधा उपस्थित नहीं होती नागद्वारी की आर्थिक आत्मनिर्भरता भी दहेज की समाप्ति में सहायक है कमाल लड़की के लिए प्रिय दहेज का प्रतिबंध नहीं लगाया जाता है वह स्वयं ही दहेज होती है उसको प्राप्त करने के लिए सभी हाथ पढ़ाते हैं यद्यपि सरकार ने दहेज के विरोध कानून बनाया है तथापि वह प्रभावित सिद्ध नहीं हो सकता रहा है इस कानून में खड़े-खड़े दंड विधान की आवश्यकता है दहेज प्रथा के विरोध नारी आंदोलन भी होना यदि चाहिए
उपसंहार- पंच तंत्र में
पुत्रीति जाता महतीह चिंता कस्मै प्रदेयेति महान् वितर्क।
दत्ता सुखं प्राप्यस्यति वा नवेति , कन्या पितृत्वं खलु नाम कष्टम् ।।
अर्थात:कन्या उत्पन्न हुई है यह बड़ी चिंता है यह किसको दी जाएगी और देने के बाद भी वह चुप पाएगी या नहीं यहां बड़ा वितरित रहता है कन्या की विद्वत निश्चित की कष्ट पूर्ण होता है यदि संस्था सरकार के साथ-साथ समाज का प्रतिरोध मार्च भी दहेज प्रथा के विरुद्ध अभिनय छेड़ दे तो इसका अंत होने में विलंब नहीं होगा दूरदर्शन सिनेमा रेडियो आज प्रचार माध्यम दहेज विरोध कार्यक्रम चलाकर इसका अत्यंत का अंत करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं इसके अंत से ही समाज नारी की दुर्गति से मुक्त होगा राष्ट्र में सुख शांति का संचार होगा तथा व प्रगति के पथ पर अक्सर होगा कार्यक्रम चलाकर इनका अंत करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं इनके अंत से ही समाज नारी की दुर्गति से मुक्त होकर राष्ट्र में सुख शांति का संचार होगा तथा विकृत के पथ पर अक्सर होगी होगा।